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जीवन की मौलिक इकाई

कक्षा - 9, अध्याय - 5, विषय - विज्ञान

प्रश्न 1. कोशिका के अंदर प्रोटीन का संश्लेषण कहाँ होता है? 

उत्तर: कोशिका के अंदर प्रोटीन का संश्लेषण राइबोसोम में होता है। इसलिए इसे कोशिका की प्रोटीन फैक्ट्री भी कहा जाता है।

प्रश्न 2. प्रकाश संश्लेषण कोशिका के किस भाग में होता है?

उत्तर: प्रकाश संश्लेषण हरित लवक नामक कोशिकांगों के ग्रैना तथा पीठिका में होता है।

प्रश्न 3. ATP का क्या कार्य है?

उत्तर: ATP में उच्च ऊर्जा बन्धों के रूप में विभवीय उर्जा होती है। यह विभिन्न कोशिकाओं में पहुंचकर ADP में बदल जाता है तथा उच्च ऊर्जा बन्ध की उर्जा को मुक्त कर देता है। इस ऊर्जा का उपयोग कोशिका की विभिन्न क्रियाओं को संपन्न करने में होता है।

प्रश्न 4. ATP का पूरा नाम क्या है?

उत्तर: ATP का पूरा नाम एडीनोसीन ट्राइफास्फेट होता है।

प्रश्न 5. कोशिका का कौन सा अंगक बिजलीघर है और क्यों?

उत्तर: माइटोकॉण्ड्रिया को कोशिका का बिजलीघर कहा जाता है क्योंकि इसमें भोजन के ऑक्सीकरण से ऊर्जा मुक्त होती है और इसी के और ऊर्जा इसी में ATP के रूप में संचित भी होती है।

 

प्रश्न 6. लाइसोसोम को आत्मघाती थैली क्यों कहते हैं?

उत्तर: जब कोई कोशिका क्षतिग्रस्त या मृत हो जाती है तो उसमें उपस्थित लाइसोसोम पड़ जाते हैं तथा उसमें उपस्थित एंजाइम उस कोशिका का पाचन कर लेते हैं। इसलिए लाइसोसोम को आत्मघाती थैली कहते हैं।

 

प्रश्न 7. यदि गॉल्जी उपकरण न हो तो कोशिका के जीवन में क्या होगा?

उत्तर: गॉल्जी उपकरण का मुख्य कार्य  पॉलीसैकेराइड्स,  लिपिड्स एवं अन्य पदार्थों का स्रावण करना तथा उन्हें कोशिका से बाहर निकालना होता है। यदि किसी कोशिका में गॉल्जी उपकरण नहीं है तो उपर्युक्त कार्य नहीं होने के कारण कोशिका स्वयं मृत हो जाएगी। 

 

प्रश्न 8. यदि किसी कोशिका का संगठन किसी भौतिक अथवा रासायनिक प्रभाव के कारण नष्ट हो जाता है तो क्या होता है?

उत्तर: इस अवस्था में कोशिका अपने कार्य नहीं कर पाएगी जिससे उसकी मृत्यु हो जाएगी।

 

प्रश्न 9. क्या आप दो ऐसे अंगो का नाम बता सकते हैं जिनमें अपना अनुवांशिक पदार्थ होता है?

उत्तर: (i) प्लैस्टिड

(ii) माइटोकॉण्ड्रिया

प्रश्न 10. कोशिका झिल्ली को बनाने वाले लिपिड तथा प्रोटीन का संश्लेषण कहां होता है?

उत्तर: (i) लिपिड्स का संश्लेषण चिकनी अंर्तद्रव्यी जालिका SER द्वारा होता है। 

(ii) प्रोटीन का संश्लेषण राइबोसोम के द्वारा होता है। 

प्रश्न 11. कोशिका कला किन पदार्थों से बनी होती हैं?

उत्तर: कोशिका कला मुख्यतः प्रोटीन्स तथा लिपिड्स से मिलकर बनी होती हैं।

प्रश्न 12. परासरण क्या है?

उत्तर: किसी अर्ध-पारगम्य झिल्ली द्वारा जल के अणुओं का उच्च सांद्रता वाले क्षेत्र से निम्न सांद्रता वाले क्षेत्र में भ्रमण करना परासरण कहलाता है।

प्रश्न 13. अमीबा अपना भोजन कैसे प्राप्त करता है?

उत्तर: अमीबा एंडोसाइटोसिस द्वारा भोजन ग्रहण करता है। प्लाज्मा झिल्ली अंदर की ओर मुड़कर कप के आकार का गड्ढा बना लेती है जिसमें भोजन प्रविष्ट हो जाता है। इसके बाद वह भोजनधानी (खाद्यधानी) का रूप ले लेती है।

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प्रश्न 14. यदि प्लाज्मा झिल्ली फट जाए अथवा टूट जाए तो क्या होता है?

उत्तर: प्लाज्मा झिल्ली के टूटने अथवा फटने पर कोशिका द्रव्य में पाए जाने वाले कोशिकांग बिखर जाएंगे तथा कोशिका का संगठन नष्ट हो जाएगा तथा कोशिका मृत हो जाएगी। 

प्रश्न 15. प्लाज्मा झिल्ली को वर्णनात्मक पारगम्य झिल्ली क्यों कहते हैं?

उत्तर: प्लाज्मा झिल्ली केवल निश्चित वांछित पदार्थ को ही कोशिका के अंदर आने देती है और अवांछित पदार्थों को रोक देती है। यह उन्हीं पदार्थों को बाहर ले जाती है जिनकी आवश्यकता नहीं होती है। इस तरह प्लाज्मा झिल्ली के आर पार पदार्थों का आना जाना अथवा गम्यता का चयन अथवा वरण यह झिल्ली ही करती है। इसलिए इसे वर्णनात्मक झिल्ली कहते हैं।

प्रश्न 16. CO2 तथा जल जैसे पदार्थ कोशिका से कैसे अंदर तथा बाहर जाते हैं समझाइए।

उत्तर: CO2 प्लाज्मा झिल्ली के आर पार विसरण द्वारा आ जा सकती है। CO2 कोशिका में एक अपशिष्ट पदार्थ है। कोशिका के बाह्य वातावरण में CO2 की सांद्रता कोशिका के अंदर की सांद्रता से कम होती है अतः CO2 कोशिका से बाहर आ जाती है। जल के अणुओं का विसरण परासरण कहलाता है। परासरण में जल के अणु वर्णनात्मक पारगम्य झिल्ली द्वारा उच्च जल की सांद्रता से निम्न जल की सांद्रता की ओर जाते हैं।

प्रश्न 17. कोशिका को जीवन की संरचनात्मक व क्रियात्मक इकाई क्यों कहा जाता है?

उत्तर: जीवधारियों के शरीर का निर्माण कोशिकाओं से होता है। इस कारण कोशिका को संरचनात्मक इकाई कहते हैं। प्रत्येक जीवित कोशिका में जैविक कार्यों को करने की क्षमता होती है। एक कोशिकीय जीवों में समस्त जैविक क्रियाओं को एक ही कोशिका संपन्न करती है। इसके विपरीत बहुकोशिकीय जीवों में कोशिकाएं निश्चित कार्य को करने के लिए विशिष्टकृत हो जाती हैं। कोशिकाएं कोशिकांगों के कारण विशिष्ट कार्य करती हैं। इस कारण कोशिका को जीवन की क्रियात्मक इकाई कहते हैं।

 

प्रश्न 18. कोशिका की खोज किसने और कैसे की?

उत्तर: कोशिका की खोज सर्वप्रथम रॉबर्ट हुक ने सन 1665 में की थी। उन्होंने कॉर्क की एक महीन काट में मधुमक्खी के छत्ते के समान कोठरियाँ देखीं जिन्हें उन्होंने कोशिका (Cell-सेल) का नाम दिया। 

प्रश्न 19. गुणसूत्र के कार्यों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।

उत्तर: गुणसूत्र के कार्य - गुणसूत्र  अत्यधिक महत्वपूर्ण सरचनाएंँ हैं  जो केंद्रक तथा कोशिका में निम्नलिखित कार्य करते हैं

(i) गुणसूत्र वंशागति के भौतिक आधार हैं। इन पर उपस्थित जीन्स के कारण ही केन्द्रक आनुवांशिक गुणों को सन्तान में ले जाता है। 

(ii) कोशिका के संतुलित विभाजन में गुणसूत्र ही मुख्य भाग लेते हैं ताकि संतति कोशिकाएँ मातृ कोशिकाओं के सभी लक्षणों में समान हों।

(iii) ये RNA का निर्माण तथा कार्यों का नियमन करते हैं। इन पर उपस्थित DNA अणु RNA अणुओं का निर्माण करते हैं जिनसे प्रत्येक कार्यिकी से संबंधित रासायनिक क्रिया का नियंत्रण और नियमन होता है अर्थात कोशिका में उपापचय नियमित होता है। इस प्रकार गुणसूत्रों को कोशिका रूपी रासायनिक फैक्ट्री का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर कह सकते हैं।

प्रश्न 20. गुणसूत्र किसे कहते हैं इसकी संरचना का संक्षेप में वर्णन कीजिए।

उत्तर: गुणसूत्र: केन्द्रक द्रव्य में सूक्ष्म तन्तुओं का एक जाल फैला होता है। कोशिका विभाजन के समय ये तंतु अपेक्षाकृत मोटे और स्पष्ट दिखाई देने लगते हैं। इन्हें गुणसूत्र अथवा क्रोमोसोम कहते हैं। यह मुख्यतः डी-ऑक्सीराइबोस न्यूक्लिक अम्ल (DNA) से बने होते हैं। 

संरचना: सूक्ष्मदर्शी से देखने पर प्रत्येक गुणसूत्र की संरचना में मैट्रिक्स के भीतर दो परस्पर सटे एवं महीन सूत्र कुंडली के रूप में परस्पर सटे हुए दिखाई देते हैं जिन्हें अक्षीय-सूत्र अथवा क्रोमोनिमेटा कहते हैं। प्रत्येक क्रोमोनिमेटा एक अर्ध-गुणसूत्र को व्यक्त करता है। दोनों अर्ध-गुणसूत्र एक निश्चित स्थान पर एक दूसरे से जुड़े होते हैं जिसे प्रथम संकीर्णन या सेण्ट्रोमियर कहते हैं। इसके अतिरिक्त कभी-कभी द्वितीयक संकीर्णन भी पाया जाता है। किन्हीं-किन्हीं गुणसूत्रों के अंतिम सिरे पर एक या एक से अधिक उभार होते हैं जिन्हें सैटेलाइट कहते हैं। 

क्रोमोनिमेटा के ऊपर समान दूरियों पर अनेक कणिका समान रचनाएंँ होती हैं, जिन्हें क्रोमोमियर ईयर कहते हैं। गुणसूत्रों की रचना न्यूक्लिक अम्ल (DNA तथा RNA), हिस्टोन तथा अम्लीय प्रोटीनों से होती है परंतु गुणसूत्र में इसका विन्यास अत्यंत जटिल होता है। 

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प्रश्न 21. केन्द्रक की संरचना तथा कार्य का वर्णन कीजिए।

उत्तर: केन्द्रक की संरचना - केन्द्रक की खोज सर्वप्रथम रॉबर्ट ब्राउन ने की थी। यह कोशिका की सघन, गोलाकार या अंडाकार रचना होती है। सामान्यतया कोशिका में एक केन्द्रक होता है। केन्द्रक निम्नलिखित भागों से बना होता है 

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(i) केन्द्रक कला: केन्द्रक के चारों ओर दोहरी इकाई झिल्ली का आवरण होता है। इसे केन्द्रक कला कहते हैं। केन्द्रक कला पर स्थान - स्थान पर सूक्ष्म केन्द्रकीय छिद्र होते हैं। इनके द्वारा कोशिकाद्रव्य एवं केन्द्रकद्रव्य के मध्य पदार्थों का आदान-प्रदान होता रहता है। असीम केन्द्रकी (प्रोकैरियोटिक) कोशिकाओं में केन्द्रक कला का अभाव होता है। 

 

(ii) केन्द्रक द्रव्य:  केन्द्रक कला से घिरे आधारीय पदार्थ को केन्द्रकद्रव्य कहते हैं। यह न्यूक्लियोप्रोटीन से बना पारदर्शी, कोलाॅइडी तरल होता है। इसमें एंजाइम, खनिज लवण, राइबोसोम्स, RNA  क्रोमैटिन एवं केन्द्रिक पाए जाते हैं। 

(iii) क्रोमैटिन:  यह केन्द्रक-द्रव्य में धागेनुमा संरचनाओं का जाल होता है। यह कोशिका विभाजन के समय एक दूसरे से पृथक एवं संकुचित होकर गुणसूत्र बनाता है। विभिन्न जीवधारियों में गुणसूत्रों की संख्या अलग-अलग होती है। एक जाति के सभी सदस्यों में गुणसूत्रों की संख्या एक समान होती है। गुणसूत्रों की खोज स्टद् स्ट्रसबर्गर ने 1857 में की थी और नामकरण वाल्डेयर ने 1888 में किया था गुणसूत्रों पर जीन्स स्थित होते हैं। गुणसूत्रों की संरचना एवं संख्या में परिवर्तन से जीवों में  विभिन्नताएं उत्पन्न हो जाते हैं।

(iv) केन्द्रिक: केन्द्रक में एक या दो केंद्रिकाएँ होती हैं। केन्द्रिक में लगभग 85% प्रोटीन, 10%  RNA  तथा 5% DNA होता है। असीमकेन्द्रकी (प्रोकैरियोटिक) कोशिकाओं में केन्द्रिक नहीं होता। केन्द्रिक राइबोसोम्स निर्माण में सहायक होते हैं। 

केन्द्रक के कार्य: केन्द्रक के प्रमुख कार्य निम्नलिखित होते हैं। 

(i) केन्द्रक कोशिका की समस्त उपापचय क्रियाओं का नियंत्रण एवं नियमन करता है

 

(ii) केन्द्रक आनुवांशिक लक्षणों की वंशागति के लिए उत्तरदायी होता है।

(iii) केन्द्रक कोशिका विभाजन के लिए उत्तरदाई है। इससे शरीर की वृद्धि होती है। 

प्रश्न 22. माइटोकॉण्ड्रिया की संरचना और कार्य का संक्षेप में वर्णन कीजिए।

उत्तर: माइटोकॉण्ड्रिया की संरचनायूकेरियोटिक कोशिकाओं के कोशिका द्रव्य में अनेक सूक्ष्म गोलाकार, शलाकावत् या सूत्री संरचनाएं पाई जाती हैं, जिन्हें माइटोकॉन्ड्रिया कहते हैं। इनकी औसत लंबाई 3 से 4 मिलीमीटर और औसत व्यास 0.2 मिलीमीटर होता है।

mitocondriya

प्रत्येक माइटोकॉन्ड्रिया के चारों ओर जीव-द्रव्य कला या प्लाज्मा झिल्ली के समान प्रोटीन और वसा की दोहरी झिल्ली की दीवार होती है। बाहरी दीवार चिकनी और लचीली होती है और फूल कर कई गुना बढ़ सकती है। भीतरी परत अंदर धंस कर अंगुली के समान रचना क्रिस्टी बनाती है 

myticondriya
cristy

क्रिस्टी की सतह पर अंदर की ओर असंख्य छोटी-छोटी घुंडियाँ  होती हैं, जिन्हें F1 कण या ऑक्सीसोम कहते हैं। माइटोकॉण्ड्रिया की अर्ध तरल पदार्थ से भरी गुहा मैट्रिक्स कहलाती है। इसमें मुख्य रूप से एंजाइम (विकर), न्यूक्लिक अम्ल और राइबोसोम होते हैं। माइटोकॉण्ड्रिया में अनेक एंजाइम भरे होते हैं जो श्वसन क्रिया में सहयोग करते हैं। इस कारण ही माइटोकॉण्ड्रिया श्वसन क्रिया का केंद्र है।

माइटोकॉन्ड्रिया के कार्यमाइटोकॉण्ड्रिया कोशिका के अंदर होने वाले ऑक्सी श्वसन का स्थल है, जहां मुख्यतः कार्बोहाइड्रेट तथा वसा के ऑक्सीकरण द्वारा ऊर्जा उत्पन्न होती है। 

                                                (एंजाइम)
C6H12O6 + 6CO2  ---------------> 6CO2 + 6H2O + ऊर्जा

इस उत्पादित ऊर्जा को माइटोकॉण्ड्रिया में ही एडिनोसिन डाई-फास्फेट (ADP) में एकत्रित करके एडिनोसिन ट्राई- फॉस्फेट (ATP) का निर्माण किया जाता है। ATP यहां से निकलकर कोशिका में पहुंचकर फिर ADP में बदल जाता है तथा ऊर्जा को आवश्यक कार्यों के लिए देता है। इस ऊर्जा का उपयोग कोशिका की विभिन्न क्रियाओं को संपन्न करने में होता है। ऊर्जा उत्पादन और उसको ATP के रूप में संचित रखने के गुण के कारण माइटोकॉण्ड्रिया को कोशिका का ऊर्जा-गृह भी कहते हैं।

 

प्रश्न 23. लवक किसे कहते हैं? यह कितने प्रकार के होते हैं? हरित लवक (क्लोरोप्लास्ट) का सचित्र वर्णन कीजिए तथा इसके महत्व को समझाइए।

 या

हरित लवक की संरचना तथा कार्यों का वर्णन कीजिए। 

या 

पौधों में कितने प्रकार के लवक पाए जाते हैं?  हरित लवक की संरचना एवं कार्य का वर्णन कीजिए।

उत्तर: लवक तथा उसके प्रकार: लवक विशेष प्रकार की संरचनाएं हैं जो कोशिकाद्रव्य में रहती हैं। कई बार इन पर विभिन्न प्रकार के वर्णक होते हैं, तब यह रंगीन होती हैं। लवकों में DNA भी पाया गया है तथा यह विभाजित होते हुए देखे जाते हैं।

रंग के आधार पर पौधों में तीन प्रकार के लवक पाए जाते हैं -

 

(i) हरित लवक 

(ii) वर्णी लवक 

(iii) अवर्णी लवक। 

सभी प्रकार के लवक एक प्रकार से दूसरे प्रकार में बदले जा सकते हैं। इन का वर्ण या रंग इन पर उपस्थित अधिक मात्रा में तथा प्रभाविता के कारण वर्णकों का रंग होता है; जैसे - पर्णहरित, जैंथोफिल, कैरोटिन्स आदि

(i) हरित लवक: यह पर्णहरित युक्त हरे रंग के लवक हैं जो पौधों के सभी हरे भागों में पाए जाते हैं। इन का मुख्य कार्य प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन निर्माण करना है। अतः यह "कोशिका की रसोई" कहलाते हैं। हरित लवक पत्तियों की मध्योतक तथा तने की क्लोरेनकाइमेट्स उतकों में पाया जाता है। इनका आकार, परिमाण व संख्या विभिन्न पौधों में भिन्न होती हैं, जैसे - गोल, चपटे, दीर्घ वृत्ताकार। इनका व्यास 4 से 10 मिलीमीटर तथा संख्या 10 से 80 तक प्रति कोशिका होती है।

chloroplast
1 chloroplast

सूक्ष्मदर्शी अध्ययन के अनुसार प्रत्येक हरित लवक के तीन भाग होते हैं 

 

(i) आवरण: हरित लवक दो यूनिट कलाओं के आवरण से घिरा रहता है जिसमें कोई छिद्र नहीं होता है। यह आवरण रंगहीन, प्रोटीन युक्त मैट्रिक्स को घेरे रहता है।

(ii) स्ट्रोमा या पीठिका: हरित लवक के मैट्रिक्स को स्ट्रोमा ठीक कहते हैं जो जैल के समान होता है। इसमें DNA, राइबोसोम्स व अनेक एंजाइम्स पाए जाते हैं। इसी भाग में प्रकाश संश्लेषण की अप्रकाशिक अभिक्रिया होती है। 

(iii) थाइलेकोएडस्ट्रोमा में पायी जाने वाली झिल्लीनुमा चपटी पुटिकाओं को थाइलेकोएड कहते हैं। यह एक दूसरे पर एकत्र होकर (10 से 100 तक) सिक्कों के समान ढेरी बनाते हैं जिसे ग्रेनम कहते हैं। हरित लवक में ग्रेनम की संख्या 40 से 100 हो सकती है यह एक दूसरे से पीठिका पटलिका  द्वारा जुड़े रहते हैं। थाइलेकोएड के बीच में पर्णहरिम होता है। 

पर्णहरिम ही सूर्य के प्रकाश को अवशोषित कर इसकी ऊर्जा को प्रकाश संश्लेषण में प्रयुक्त करता है।

harit lavak

प्रश्न 24. कोशिका भित्ति के बारे में आप क्या जानते हैं? संक्षेप में बताइए कि यह किन पदार्थों से तथा कैसे निर्मित होती है? 

उत्तर: कोशिका भित्ति: यह एक निर्जीव संरचना है जो पादप कोशिका को चारों तरफ से घेरे रहती है। इसका निर्माण कोशिका द्रव्य व उसके स्रावित पदार्थों द्वारा होता है। गाॅल्जी उपकरण पादप कोशिका भित्ति के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। (जंतु कोशिका में कोशिका भित्ति अनुपस्थित होती है।) 

कोशिका भित्ति निम्न पर्तों की बनी होती है- 

(i) मध्य पटलिका: यह पेक्टिन व कार्बोहाइड्रेट का बना स्तर है जो दो कोशिका भित्तियों को जोड़ता है। 

(ii) प्राथमिक कोशिका भित्ति: मध्य पटलिका के दोनों ओर सेल्यूलोज की पतली व लचकदार पर्त प्राथमिक कोशिका भित्ति होती है। 

(iii) द्वितीयक कोशिका भित्ति: यह सेल्यूलोज व लिग्निन की बनी अपेक्षाकृत मोटी तथा प्राथमिक भित्ति की भीतरी सतह पर स्थित होती है।

(iv) तृतीयक कोशिका भित्ति: यह कुछ ही कोशिकाओं में सूखे प्रोटोप्लाज्म का बना स्तर है। 

koshika bhitti

इनके अतिरिक्त कोशिका भित्ति में लिग्निन, क्यूटिन, कैल्शियम, श्लेषक एवं कई खनिज पदार्थ जैसे सिलिका, ऑक्सेलेट भी उपस्थित होते हैं। 

कोशिका भित्ति में जगह-जगह पाए जाने वाले सूक्ष्म छिद्रों से एक कोशिका दूसरी कोशिका से जुड़ी रहती है। इन छिद्रों को जीवद्रव्यी- तन्तुक कहते हैं। इनके द्वारा कोशिकाओं के बीच खाद्य पदार्थों का परिवहन होता है।

प्रश्न 25. गॉल्जी उपकरण की संरचना एवं कार्यों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।

उत्तर: गॉल्जी उपकरण या गॉल्जी-काय: सन 1898 में कैमिलो गॉल्जी ने गॉल्जी-काय को जंतु कोशिका में देखा। बाद में इनको गॉल्जी कॉय/गॉल्जी तंत्र/गॉल्जी उपकरण का नाम दिया गया। इन्हें डिक्टीयोसोम्स भी कहते हैं। 

पौधों में इनकी लंबाई 1 से 3 मिलीमीटर तथा ऊंचाई 0.5 मिलीमीटर होती है। प्रत्येक गॉल्जी-काय चपटी और मुड़ी हुई कुंडिकाओं का बना होता है। कुंडिकाओं का बाहरी भाग नलिकाओं की जाली जैसा होता है जिसमें पुटिकाएँ होती हैं। इसके मैट्रिक्स में प्रोटीन, फास्फोलिपिड, एंजाइम्स, विटामिन और सेल्यूलोज फाइबर भरे रहते हैं।

कार्य:

(i) कोशिकीय पदार्थ (ग्लाइकोप्रोटीन, लिपिड्स एवं स्टीराॅलस) का स्रावण एवं संचयन करती हैं। 

(ii) कोशिका कला, कोशिका भित्ति तथा कार्बोहाइड्रेट्स का संश्लेषण करती हैं। 

(iii) कोशिका विभाजन के समय कोशिका प्लेट का निर्माण करती हैं।

(iv) उत्सर्जित पदार्थों को कोशिका से बाहर निकालने में सहायक होती हैं।

gaulzikay

प्रश्न 26. जंतु कोशिका तथा पादप कोशिका में तुलना कीजिए।

उत्तर: जंतु कोशिका तथा पादप कोशिका में तुलना।

diffrance between jantu and padap

प्रश्न 27. प्रोकैरियोटी कोशिकाएं यूकैरियोटी कोशिकाओं से किस प्रकार भिन्न होती हैं ?

उत्तर: प्रोकैरियोटी कोशिका तथा यूकैरियोटी कोशिका में तुलना:-

diffrance between pracarioty and youkarioty

प्रश्न 28. न्यूक्लिक अम्ल कहां पाए जाते हैं यह कितने प्रकार के होते हैं तथा इनमें प्रमुख अंतर बताइए। 

उत्तर: न्यूक्लिक अम्ल: न्यूक्लिक अम्ल कोशिका द्रव्य तथा केंद्रक दोनों में पाए जाते हैं। यह दो प्रकार के होते हैं 

(i) डीऑक्सी राइबोन्यूक्लिक अम्ल (DNA) 

(ii) राइबोन्यूक्लिक अम्ल (RNA)

DNA व RNA में अंतर:-

diffrance between RNA and DNA
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